रांची वीमेंस कॉलेज में “हो“ भाषा की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ लक्ष्मी पिंगुवा के निधन से झारखंड की भाषा-संस्कृति को नुकसान : एसोसिएशन

♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची : रांची वीमेंस कॉलेज में अनुबंध पर नियुक्त “हो“ भाषा की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ लक्ष्मी पिंगुवा का कल ब्रेन हैम्ब्रेज से निधन हो गया। झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर कांट्रैक्टच्युल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ एसके झा ने कहा कि उनके निधन से झारखंड के बौद्धिक जगत में बहुत बड़ी शून्यता आ गई। जनजातीय भाषा-साहित्य और संस्कृति को बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि जब से नया संकल्प (1040, दिनांक :11.05.2023 ) आया है, तब से नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर लगातार मानसिक व आर्थिक प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं। एसोसिएशन ने कहा- डॉ लक्ष्मी पिंगुवा के पति बिरसी कुंकल ने आरोप लगया है कि 21 जुलाई को कॉलेज परिसर में कुछ शिक्षकों ने उनके साथ कक्षा को लेकर दुर्व्यवहार किया, तदुपरांत उनका तबियत खराब हुआ। पुनः अस्पताल में भर्ती कराया गया, कल ब्रेन हैमरेज से 50 वर्ष की उम्र में उनकी मौत हो गयी। डॉ० लक्ष्मी पिंगुवा एक सामान्य परिवार से निकल कर उच्च शिक्षा प्राप्त कर काफी संघर्षपूर्ण जीवन से इस सेवा में आयी थी, जहाँ वह व्यवस्था का शिकार बन 50 वर्ष की अवस्था में अपने पीछे दो पुत्र और पति को अपने पीछे छोड़ चल बसी।
आज पश्चिम सिंहभूम जिला के मंजारी प्रखंड स्थित जितलपी गांव में दिन के 2 बजे अंतिम संस्कार किया गया।
उनके निधन पर संघ के सचिव डॉ०ब्रह्मानंद साहू सहित डॉ रीझू नायक, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ अराधना तिवारी, डॉ अजयनाथ शाहदेव, डॉ रुपम, डॉ मिराकल टेटे , डॉ कंचन गिरी, डॉ शाहीना नाज, डॉ हरेंद्र पंडित, डॉ वासुदेव प्रजापति, डॉ किरण कुमारी, डॉ वसंत कुमार, डॉ दीपक कुमार, डॉ स्मिता कुमारी, डॉ प्रियव्रत पांडेय, डॉ हर्षवर्द्धन, डॉ गजनाफर अली, डॉ सोयब अंसारी, डॉ उम्मे कुलसूम, डॉ अजीत हांसदा, डॉ बिंदेश्वर साहू, डॉ देवेंद्र साहू, डॉ तेतरु उरांव, डॉ अवंतिका कुमारी, डॉ सुजाता बाला, डॉ अन्नपूर्णा झा, डॉ पुष्पा तिवारी ने गहरी शोक संवेदना प्रकट की है। जे.ए.पी.सी.ए (झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर कांट्रैक्टच्युल एसोसिएशन)के सैकड़ों शिक्षकों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी। एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि इस तरह के असमय मृत्यु पर शिक्षकों के कल्याणार्थ कुछ न कुछ उपाय करना चाहिए तथा बोकारो, धनबाद और रांची की इन घटनाओं की उच्च स्तरीय जांच हो।

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