नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री और लोजपा नेता रामविलास पासवान का 74 वर्ष की उम्र में गुरुवार की देरशाम निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से बीमार थे। हाल में ही उनके दिल की सर्जरी हुई थी। पुत्र चिराग पासवान ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पापा…अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं। वह मूलरूप से बिहार के खगड़िया जिले के निवासी थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि पासवान जी का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। उनकी कमी को पूरा नहीं कर सकते। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश ने एक दूरदर्शी नेता को खो दिया।
रामविलास पासवान का सियासी सफर
5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान लगातार नौ बार लोक सभा के सांसद बने। 1977 के चुनाव में बिहार के हाजीपुर से उन्होंने रिकॉर्ड साढ़े पांच लाख मतों से अधिक वोटों से चुनाव जीता था। उस रिकॉर्ड को लंबे समय तक कोई तोड़ नहीं पाया। सत्ता के गलियारे में रामविलास पासवान की भूमिका हमेशा किंगमेकर की बनी रही। वह अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में भी मंत्री रहे। 2004 में उन्होंने एनडीए से नाता तोड़ा। 2005 में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया और उस साल बिहार के हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने 29 सीटें जीतकर सबको हैरान कर दिया। उसके बाद वह यूपीए से जुड़ गए।
2014 के आम चुनाव से पहले वह एक बार फिर एनडीए में शामिल हो गए। 2019 के आम चुनावों में लोजपा ने छह सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ा और सभी सीटों पर जीत हासिल की। रामविलास खुद चुनावी मैदान में नहीं उतरे और राज्यसभा के सदस्य बने।