♦अनुबंध के आधार पर नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों पर 600 शिक्षकों की बहाली की गई थी। इन्हें प्रति घंटी 600 रुपये मानदेय भुगतान करना था। विश्वविद्यालय और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों पर कई वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई है। शिक्षकों की कमी का असर शैक्षणिक कार्यों पर भी पड़ रहा रहा है। शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से शैक्षणिक कार्यों पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
♦लहर न्यूज संवाददाता♦
रांची: झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर अनुबंध संघ के रांची विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों की कुलपति के साथ आज 28 अक्टूबर को हुई वार्ता विफल हो गयी। वार्ता के दौरान प्रतिकुलपति प्रो. कामिनी कुमार और कुलसचिव डाॅ अमर कुमार चैधरी भी मौजूद थे। कुलपति के साथ वार्ता विफल होने के बाद आज से इन शिक्षकों ने अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार का सख्त कदम उठाया है। इस दौरान ये शिक्षक शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कोई कार्य नहीं करेंगे।इस वजह से विद्यार्थियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
इससे पहले कुलपति के साथ वार्ता में अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसरों के प्रतिनिधियों ने लॉकडाउन के समय से लेकर अबतक के बकाया मानदेय भुगतान की मांग की। राज्य सरकार के उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के निदेशक की ओर से विश्वविद्यालयों को 16 अक्टूबर 2020 को पत्रजारी कर लॉक डाउन के समय का मानदेय न्यूनतम तीस हजार देने की बात की गई है। इसके एवज में कक्षाएं आयोजित की शर्त है,जो कि आनलाईन मोड अथवा आफलाईन मोड में से कोई भी हो सकता है।
राज्यपाल का निर्देश भी दरकिनार : डाॅ राकेश किरण
रांची विश्वविद्यालय अनुबंध संघ के अध्यक्ष डॉ राकेश किरण महतो ने कहा शिक्षकों का पिछले 8 माह से मानदेय लंबित है। यह स्थिति तब है जब गवर्नर की ओर से लॉकडाउन काल में किसी का वेतन नहीं रोकने का निर्देश दिया गया था। मार्च माह से शिक्षकों को मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है। व्यवस्था से नाराज होकर आज से ही अनुबंध शिक्षक अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले गए।
रांची विवि के रवैये से नाराजगी: डॉ रीझू नायक
संघ के उपाध्यक्ष डॉ रीझू नायक ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया हम शिक्षकों के प्रति काफी उदासीन है। विश्वविद्यालय प्रशासन साफ तौर पर हमें लॉकडाउन अवधि का मानदेय राशि का भुगतान करने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा, आप पिछली बकाया मानदेय राशि को भूल जाये। यह सरासर तानाशाही रवैया को दर्शाता है। डॉ नायक ने कहा कि जब तक हमारी मांगों पर विचार नहीं किया जाएगा, तब तक सभी प्रकार के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कार्यों का बहिष्कार होगा। यह तब तक जारी रहेगा जब तक विश्वविद्यालय और सरकार द्वारा हमारी मांगों को नहीं मान लिया जाता। हम सरकार से भी यह मांग करते हैं कि लॉकडाउन अवधि की मानदेय राशि का एक निश्चित मानदेय राशि का भुगतान करें।साथ ही लॉकडाउन के पश्चात् भी यह व्यवस्था बनी रहे।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे
प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निरंजन महतो, रांची विश्वविद्यालय अध्यक्ष डॉ. राकेश किरण, उपाध्यक्ष डॉ रीझू नायक, महासचिव किशोर सुरीन, डॉ संगीता कुजूर, डॉ त्रिभुवन साही, डॉ अजय शाहदेव, बीरेंद्र उराँव, रवि कुमार, डॉ आश्रिता कुमारी, डॉ अंजू कुमारी, शंकर मुंडा सहित विभिन्न कालेजों एवं स्नातकोत्तर विभाग के सहायक प्राध्यापक शामिल थे।