♦लहर न्यूज संवाददाता ♦
रांची: चंपा भाटिया की पहली पुस्तक गीता में ज्ञान योग का लोकर्पण बोकारो से पहुंचीं स्वामिनी संयुक्तानंद सरस्वती, रांची चिन्मय मिशन के अध्यक्ष वीके गाडियान, प्रख्यात पत्रकार और पूर्व सूचना आयुक्त बैजनाथ मिश्र सहित अन्य विशिष्ट लोगों ने किया।
रांची प्रेस क्लब सभागार में मंगलवार आयोजित पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्वामिनी संयुक्तानंद सरस्वती ने कहा, श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म की धरोहर है। गीता शास्त्र नहीं, शस्त्र भी है। संसार रूपी वृक्ष को छेदने के लिए यह एकमात्र अस्त्र है। इसकी सहायता से संसार से अपने को मुक्त करा सकते हैं। इसके सभी को अपनाना चाहिए। गीता एक उपनिषद है। इसमें कई श्लोक उपनिषद से हैं। गीता में सारी समस्याओं का समाधान है।
ज्ञान प्राप्त करने के लिए श्रद्धा होनी चाहिए: बैजनाथ मिश्र
पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात पत्रकार और झारखंड के पूर्व सूचना आयुक्त बैजनाथ मिश्र ने कहा, कृष्ण प्रेम से प्रकट होते हैं। प्रेम संगीतमय जीवन की गहरी चलती धारा है। इसमें दिव्य माधुर्य के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखता है। भक्त और भगवान एक हो जाते हैं‚तो वह प्रेम है। ज्ञान प्राप्त करना है तो श्रद्धा होनी चाहिए। श्रद्धा हो, एकाग्रचित्त होकर जिज्ञासा और उसे प्राप्त करने की तत्परता हो। ज्ञान प्राप्त करने के लिए पहले जिज्ञासा होनी चाहिए। किसी चीज को जानने की तड़प होनी चाहिए। अर्जुन में जिज्ञासा और श्रद्धा दोनोें थी। पूर्ण समर्पण भी था‚ तभी ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
पुस्तक में गीता के 130 श्लोक : चंपा भाटिया
लेखिका चंपा भाटिया ने कहा, यह मेरी पहली पुस्तक है। गीता को पचास साल पहले पढ़ा। बचपन से ही घर में माहौल मिला। तीन साल की उम्र से पिता के साथ
सत्संग में जाती थी। इसके बारे में गहरायी से जानने का मन करता था। श्रीकृष्ण से ज्ञान के साथ कर्म और भक्ति भी जुड़ जाते हैं। इससे जीवन पूर्ण हो जाता है। बिना भक्ति के कर्म पूरा नहीं हो सकता है। गीता में 699 श्लोक हैं जिनमें से अपनी पुस्तक में 130 श्लोक लिये हैं।
स्वागत प्रभात प्रकाशन रांची के प्रभारी राजेश शर्मा और धन्यवाद ज्ञापन संजय कृष्ण ने किया।