♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राजभवन को निशाने पर लेते हुए कई सवाल खड़े किये हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं के लिए राजभवन के दरवाजे अवकाश के दिन खोल दिए जाते हैं। कोल्हान विश्वविद्यालय में सिनेट-सिंडिकेट में भाजपा के सक्रिय पदाधिकारियों को एकतरफा राजभवन ने सदस्य मनोनीत कर दिया। राज्य सरकार की कोई सलाह नहीं ली गई। कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कार्यकाल में विस्तार दे दिया गया। लेकिन यह सबकुछ करने से पहले राज्य सरकार से विचार-विमर्श तक नहीं किया गया।
मोर्चा महासचिव ने कहा-डीजीपी को बुलाकर महिला दारोगा रूपा तिर्की के मामले में राजभवन के हस्तक्षेप को भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं बताया है। मोर्चा का कहना है कि कहीं झारखंड में बंगाल, दमन दीव, दिल्ली जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो जाए। राज्यपाल गरिमा का पद है और उनको राज्य सरकार के सलाह-मशविरा के साथ आगे बढ़ना और कैबिनेट की सहमति से अपने अधिकारों का उपयोग करना होता है। ऐसा नहीं करना संघीय ढांचे पर प्रहार का नमूना है।