नई दिल्ली। प्रगति मैदान में जारी 40वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में 15 नवम्बर का दिन पूरी तरह झारखण्ड पवेलियन के नाम रहा। झारखण्ड प्रदेश की स्थापना के 21 वर्ष पूरे होने और आदिवासी जननायक भगवान् बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में झारखंड पवेलियन में ख़ास समारोह आयोजित किया गया, जिसका दर्शकों ने खूब आनंद लिया।
भगवान् बिरसा मुंडा (धरती आबा) देश के प्रथमस्त स्वतंत्रता सेनानियों में माने जाते हैं। झारखण्ड प्रदेश में भगवान् माने जाने वाले इस महान पुरुष को भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक पुरुष और लोक नायक के रूप में मान्यता प्राप्त है।जिनका जन्म झारखण्ड के खूँटी ज़िले में उलिहातू नामक स्थान पर 15 नवम्बर 1875 को हुआ था। 19वीं सदी के शुरुआती सालो में ही अपनी युवा अवस्था (25 वर्ष) में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध जो आंदोलन चलाया, उसको जनजातियों में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। उन्होंने अपने समुदाय के लोगो को धार्मिक क्रिया की तरह सोचने को तैयार किया और अपने अधिकारों को मांगने के लिए ब्रिटिश सरकार से संघर्ष किया। भगवान् बिरसा मुंडा झारखण्ड प्रदेश में किसी भी काम के पहले याद किये जाते हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए झारखण्ड पवेलियन में उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है। मेले में आने वाले लोग इस प्रतिमा को देख उत्सुकता से इनके विषय और कार्य की चर्चा कर रहे है। भगवान बिरसा मुंडा पर देश ही नहीं दुनिया को भी गर्व होताहै है। उनके जीवन पर कई साहित्य और फिल्मे भी बनाई जा चुकी हैं। उनके नेतृत्व में 19वीं सदी के अंतिम वर्षों में मुंडाओं के महान आंदोलन ‘उलगुलान’ को अंजाम दिया गया। मुंडा समाज के लोग बिरसा को भगवान् के रूप में पूजते हैं।
इस अवसर पर पवेलियन में भगवान् बिरसा मुंडा के जन्मदिन का केक काटा गया। पवेलियन में आने वाले सभी दर्शकों को केक और मिठाई से मुंह मीठा कराया गया। झारखंड पवेलियन निदेशक राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि आज का दिन झारखंड के लिए काफी गर्व का दिन है। आज बिरसा मुंडा जयंती तो है ही, साथ ही वर्ष 2000 में आज ही के दिन झारखण्ड एक नए प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आया था। हमें व्यापार मेले में इस ख़ुशी को मानते हुए काफी गर्व की अनुभूति हुई। दिल्ली में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेले में अपनी खुशियाँ मनाना एक शानदार अनुभव है।