♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: राम लखन सिंह यादव कॉलेज के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा खोरठा विभाग की ओर से खोरठा साहित्यकार श्रीनिवास पानुरी: व्यकित्व एवं कृतित्व विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गयी।
प्राचार्य डॉ जयकांत प्रसाद सिंह ने इसकी अध्यक्षता करते हुए कहा- किसी देश या समुदाय की पहचान उनकी भाषा होती है। नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक स्तर से ही अपनी मातृभाषा में शिक्षण कार्य होना है। श्रीनिवास पानुरी जैसे साहित्यकार साधारण परिवार से सबंध रहने के बावजूद खोरठा भाषा साहित्य में उनके योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है।
मुख्य वक्ता के तौर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा खोरठा विभाग के अध्यक्ष डॉ विनोद कुमार ने श्रीनिवास पानुरी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। कहा- श्रीनिवास पानुरी जी का जन्म धनबाद के बरवड्डा में 25 दिसम्बर, 1920 ई को एक साधारण परिवार में हुआ था। पानुरीजी पान गुमटी में बैठकर खोरठा साहित्य में लेखन कार्य करते रहे।
विभागाध्यक्ष डॉ खालिक अहमद ने भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। रांची विवि की टीआरएल अध्यक्ष प्रो कुमारी शशि ,डॉ आहित्या कुमारी ने भी अपने विचार रखे।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुरेश महतो ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रुप से डॉ राम कुमार, डॉ अजीत मुंडा, अमर कुमार, विकास उरांव, नीलू कुमारी, शिखा सिंह, छाया रानी, सुनील कुमार, डॉ मनीष टुडू, डॉ रीता सिंहा, मिलन, पप्पु कुमार, सोनु, मंजरी, आदि उपस्थित थे।