♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (रांची) के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में डॉ रामदयाल मुंडा की 83वीं जयंती के मौके पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गयी।
डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती पर विभाग के समन्वयक प्रोफेसर रामदास उरांव, डॉ जुरन सिंह मंकी , मारवाड़ी कॉलेज के सहायक अध्यापक जुरा होरो ने डॉ मुंडा के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। बताया गया कि डॉ मुंडज्ञ किस तरह 150 नगाड़ों को हवाई जहाज से अमेरिका ले गए तथा अमेरिका में झारखंड की संस्कृति कर परचम लहराया।
रांची विश्वविद्यालय से हो भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापिका डॉ सरस्वती गागरई “जे नाचीं से बॉंची” मुंडा जी के प्रसिद्ध उचित से शुरू करते हुए कहा कि झारखंडी भाषा और संस्कृति को एक सूत्र में बांधने के लिए अखड़ा संस्कृति बचाए रखनी है। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डीएसपीएमयू के डीएसडब्ल्यू डॉक्टर अनिल कुमार सर ने डॉ रामदयाल मुंडा के संपूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे बतलाते हुए कहा कि मुंडा जी ने विदेश में शिक्षा ग्रहण एवं प्राध्यापक का कार्य करते हुए झारखंड के आदिवासियों के अस्तित्व की लड़ाई लड़ी। झारखंड के आदिवासियों के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए वह विदेशों तक इस मुद्दे को लेकर गए और बेबाक तरीके से झारखंड के आदिवासियों की स्थिति और यहां के बहुआयामी संस्कृति को विदेश के लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया।
इस कार्यक्रम का मंच संचालन डॉक्टर डूमिनी माय मुर्मू एवं धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापिका अलबीना जोजो ने किया। मौके पर डॉ जय किशोर मंगल डॉक्टर निताई चंद्र महतो डॉक्टर मालती वागीशा लाकड़ा, जुगेश कुमार महतो, लक्ष्मीकांत प्रमाणिक, मनोज कच्छप, सीता कुमारी, दिलदार पुर्ति,सुशीला कुमारी एवं विभाग के सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।







Who's Online : 0