♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के नागपुरी विभाग में आज शिक्षक दिवस मनाया गया। छात्रों ने इस अवसर पर शिक्षकों को बुके और पारम्परिक टोपी व माला पहना कर स्वागत किया। चन्द्रिका कुमारी, अशोक कुमार महतो, प्रिया ठाकुर, बालकृष्ण बड़ाईक के द्वारा गीत व कविता प्रस्तुत किये गये।
गुरु के बिना ज्ञान अधूरा: डॉ उमेश नन्द तिवारी
नागपुरी विभाग के अध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी ने कहा मनुष्य के जीवन में गुरु का स्थान सर्वाेत्तम माना गया है, क्योंकि गुरु ही एकमात्र ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने शिष्य को जीवन में कर्म पथ पर चलने का सही मार्ग दिखाता है। गुरु के बिना ज्ञान अधूरा रहता है। यह बात बिल्कुल सत्य है। हमारे जीवन में सबसे पहली गुरु तो मां होती है जो हमें जन्म लेते ही हर बातों का ज्ञान कराती है, मगर विद्यार्थी काल में बालक के जीवन में शिक्षक एक ऐसा गुरु होता है जो उसे शिक्षित तो करता ही है साथ ही उसे अच्छे-बुरे का ज्ञान भी कराता है।
शिक्षक अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं: डॉ सविता केसरी
प्राध्यापक डॉ सविता केसरी ने कहा कि गुरु का स्थान ईश्वर से भी बड़ा माना गया है, क्योंकि गुरु के माध्यम से ही व्यक्ति ईश्वर को भी प्राप्त करता है। शिक्षक विद्यार्थियांे के जीवन के वास्तविक निर्माता होते हैं जो न सिर्फ हमारे जीवन को आकार देते हैं, बल्कि हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें।
प्रकाश स्तम्भ की तरह होते हैं शिक्षक: डॉ बीरेन्द्र कुमार
प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो ने कहा कि शिक्षक समाज में प्रकाश स्तम्भ की तरह होता है, जो अपने शिष्यों को सही राह दिखाकर अंधेरे से प्रकाश की और ले जाता है। शिक्षकों के ज्ञान से फैलने वाली रोशनी दूर से ही नजर आने लगती है। इस वजह से हमारा राष्ट्र ढ़ेर सारे प्रकाश स्तम्भों से रोशन हो रहा है। इसलिये देश में शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक और विद्यार्थी के बीच के रिश्तों को सुदृढ़ करने के लिए शिक्षक दिवस एक बड़ा अवसर होता है।
मिलजुल कर ज्ञान की ज्योति जलानी होगी: डॉ रीझू नायक
प्राध्यापक डॉ रीझू नायक ने कहा कि गुरु शिष्य को एक दूसरे की भावनाओं को समझ कर मिलजुल कर ज्ञान की ज्योति जलानी होगी। भारत में शिक्षक दिवस शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाता है। शिक्षक पूरे वर्ष मेहनत करते हैं और चाहते हैं कि उनके छात्र विद्यालय और अन्य गतिविधियों में अच्छा प्रदर्शन करें। शिक्षक दिवस मनाने के साथ हमें शिक्षण कार्य की पवित्रता को फिर से बहाल करने की प्रतिज्ञा भी लेनी होगी, तभी हमारा शिक्षक दिवस मनाना सार्थक हो पायेगा।
कार्यक्रम का संचालन डॉ हेमलाल मेहता एवं धन्यवाद ज्ञापन विजय आनन्द ने किया।