रांची में साहित्य समागम , डॉ अशोक प्रियदर्शी ने कहा – काव्य का छंदबद्ध सृजन होना चाहिए

♦Laharnews.com Correspondent♦
  रांची : रांची में आयोजित साहित्य समागम में में रंजना वर्मा उन्मुक्त की लघुकथा संग्रह माटी की खुशबू और रेणु झा रेणुका का काव्यसंग्रह भावनाओं के रंग का विमोचन किया गया।
छंदमुक्त काव्य पर चिंता
इस कार्यकम का आयोजन अंतरराष्ट्रीय साहित्य कला संस्कृति न्यास साहित्योदय के तत्वावधान में किया गया था। इसके साथ ही साहित्योदय काव्यरत्न, वर्ल्ड रिकॉर्ड सम्मान के साथ ही , कवि सम्मेलन और क्षेत्रीय भाषा पर आधारित लोकगीत कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अशोक प्रियदर्शी ने साहित्य के उत्थान में साहित्योदय के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि विश्व के रचनाकारों को एक मंच पर जोडकर अभूतपूर्व कार्य किया गया है। मौजूदा दौर में छंदमुक्त कविता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सभी को छंदबद्ध सृजन करना चाहिए।
इन्होंने भी रखे अपने विचार
संस्थापक अध्यक्ष पंकज प्रियम ने जन रामायण के साथ-साथ कृष्णायण, महक माटी की और लफ्ज़ मुसाफ़िर सहित आगामी आयोजनों पर विस्तृत जानकारी दी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में सारिका भूषण, अनिता रश्मि, सुरिंदर कौर नीलम, और डॉ हरेंद्र सिन्हा ने विमोचित पुस्तकों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के तीसरे सत्र में क्षेत्रीय भाषा पर लोकगीत और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
संचालन राकेश रमण, खुशबू बरनवाल, सीमा सिन्हा ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ रजनी शर्मा चन्दा, रंजना वर्मा उन्मुक्त, रेणु झा रेणुका, खुशबू बरनवाल, सीमा सिन्हा, पुष्पा सहाय सहित पूरी रांची टीम की भूमिका अहम रही।

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